दिखाई देते हैं
आज कुछ क़यामत के आसार दिखाई देते हैं
वोह फिर बा-गाजा-ए-रुखसार दिखाई देते हैं
सुना तोह था हमने के नाराज़ हैं नासेह
मगर ये क्या के क़त्ल को तैयार दिखाई देते हैं?
उन निगाहों का जादू है या मौसम का तकाज़ा?
हिलते हुए दिल के दर-ओ-दीवार दिखाई देते हैं
मत पूछो यारों हमसे शहर-ए-अमीरान की रस्में
मिलते हैं गले तोह हाथों में हथियार दिखाई देते हैं
हो फकीर-ए-सर-ए-राह या मालिक-ए-तख़्त-ओ-ताज
हमें तोह सिफर सब उसके कर्ज़दार दिखाई देते हैं
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