आ पहुंचे
देख तेरी बंदगी में हम
किस मकाम आ पहुंचे
है जहां न इब्तेदा न अंजाम आ पहुंचे
है जहां न इब्तेदा न अंजाम आ पहुंचे
साकी तू मय की धार रखियो
कुछ तेज़-तेज़
यूँ न हो मस्ती से पेहले ही इमाम आ पहुंचे
यूँ न हो मस्ती से पेहले ही इमाम आ पहुंचे
मत पूछो हमसे यारों इश्क
पर रोज़गार के सितम
अभी गले मिले भी न थे के ढेरों काम आ पहुंचे
अभी गले मिले भी न थे के ढेरों काम आ पहुंचे
थी खबर कल शब् के वोह
निकले हैं सैर को
सुना इतना और मर्द शेहर के तमाम आ पहुंचे
सुना इतना और मर्द शेहर के तमाम आ पहुंचे
सोता भी हूँ तोह
चश्म-ओ-गोश खोले हुए सिफर
उम्मीद ये के बेवक्त उनका पैगाम आ पहुंचे
उम्मीद ये के बेवक्त उनका पैगाम आ पहुंचे
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