March 28, 2013


हंगाम-ए-फ़िराक कहते हैं वोह सब्र कीजिये
उम्र बुहत थोड़ी है, तैयार कब्र कीजिये

सिफ़र

इस सदियों से बहती
दर्द की धार
के उस पार
भी तो कोई दुनिया होगी
मुझे वहाँ ले चल
मेरे हमदम
मुझे वहाँ ले चल
मेरे यार

सिफ़र


आज होली का त्यौहार है, आओ खेलें रंग


आज होली का त्यौहार है, आओ खेलें रंग
लाओ रंग हल्का नीला, बेदर्द आसमानों का
ज़ीस्त की कड़ी धुप में सूखे हुए अरमानों का

आज होली का त्यौहार है, आओ खेलें रंग
उछालो रंग सुर्ख, जैसे बहता हो मासूम लहू
उसका जो आयी थी घर, बिन दहेज़ लिए बहु

आज होली का त्यौहार है, आओ खेलें रंग
फेंको रंग चांदी सिक्कों का, जूँ मुफलिस को भीक
छोडो फुवारें सोने की, जो लालच की सीख

आज होली का त्यौहार है, आओ खेलें रंग
लगाओ रंग हर तन पर हरा, जैसे ताज़ा नासूर
चढाओ चेहरों पर रंग बैंगनी, जैसे दौलत मग़रूर

लाओ बुझदिली का पीला, लाओ खौफ का ज़र्द
शब्-इ-हिज्र की सियाही लाओ, छेड़ो आहें सर्द
आज होली का त्यौहार है, आओ खेलें रंग
आज होली का त्यौहार है, लाओ दर्द के सारे रंग



सिफ़र