August 14, 2012


दिखाई देते हैं 


आज कुछ क़यामत के आसार दिखाई देते हैं 
वोह फिर बा-गाजा-ए-रुखसार दिखाई देते हैं 

सुना तोह था हमने के नाराज़ हैं नासेह 
मगर ये क्या के क़त्ल को तैयार दिखाई देते हैं?

उन निगाहों का जादू है या मौसम का तकाज़ा?
हिलते हुए दिल के दर-ओ-दीवार दिखाई देते हैं 

मत पूछो यारों हमसे शहर-ए-अमीरान की रस्में 
मिलते हैं गले तोह हाथों में हथियार दिखाई देते हैं 

हो फकीर-ए-सर-ए-राह या मालिक-ए-तख़्त-ओ-ताज 
हमें तोह सिफर सब उसके कर्ज़दार दिखाई देते हैं





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