August 14, 2012


आ पहुंचे

देख तेरी बंदगी में हम किस मकाम आ पहुंचे
है जहां न इब्तेदा न अंजाम आ पहुंचे

साकी तू मय की धार रखियो कुछ तेज़-तेज़
यूँ न हो मस्ती से पेहले ही इमाम आ पहुंचे

मत पूछो हमसे यारों इश्क पर रोज़गार के सितम
अभी गले मिले भी न थे के ढेरों काम आ पहुंचे

थी खबर कल शब् के वोह निकले हैं सैर को
सुना इतना और मर्द शेहर के तमाम आ पहुंचे

सोता भी हूँ तोह चश्म-ओ-गोश खोले हुए सिफर
उम्मीद ये के बेवक्त उनका पैगाम आ पहुंचे









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